गुरुवार, 16 सितंबर 2010

समाज की गोठ सी वी गार्डन में आयोजित

चित्र में (बायें से दायें)- श्री नारायण लाल तैलंग, श्री अनिल तैलंग, चि0 गुंजेश भट्ट, चि0 ध्रुव भट्ट, चि0 पीयूष भट्ट, श्री महेंद्र भट्ट, श्री नवनीत आत्रेय, श्री मदन मोहन तैलंग, श्री किशोर कुमार शर्मा, सौ0 ब्रजप्रिया भट्ट, सौ0 मीनाक्षी शर्मा, सुश्री चारु तैलंग, सुश्री रचना आत्रेय, सौ0 किरण भट्ट, सौ0 निर्मला आत्रेय, सौ0 नीलम आत्रेय, सौ0 संध्या तैलंग, सौ0 पिंकी तैलंग, सौ0 जयश्री भट्ट, सौ0 कुमुद तैलंग, चि0 प्रार्थना
कोटा। 12 सितम्‍बर को समाज की 2010 की पहली वर्षा-गोठ रिमझिम फुहारों के बीच बच्चों की किलकारियों में और भी मनोरंजक बन गयी। गोठ के लिए योजना के अनुसार सभी परिवारों की चार दिन पूर्व मंगलवार को बैठक बुलाई गयी और निर्णय लिया गया कि सभी परिवार एक-एक व्‍यंजन बना कर लायेगा और सामूहिक बैठक कोटा के बड़े बाग (सी वी गार्डन) में आयोजित की जायेगी। 12 सितम्‍बर को 11-30 बजे से परिवारों का आना शुरु हो गया। साढ़े बारह बजे चाय पान से गोठ आरंभ हुई। गोठ में सभी ने पूरा मनोरंजन किया। पूरी तरह से हरे वृक्षाच्‍छादित लगभग 1 वर्ग किलोमीटर परिसर में सभी लोग घूमे। युवा वर्ग ने पेडल बोटिंग का आनंद भी लिया। बच्चों ने झूलों, फि‍सलनी आदि पर खेल कर अपना मनोरंजन किया। बाद में सभी ने एकत्रित हो कर अपनी अपनी योजनायें आदि पर बातें की। सभी ने वर्ष में दो बार वर्षा और शरद ॠतु में गोठ आयोजित करने के लिए अपने अपने विचार प्रकट किये। एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे रूस से ग्रीष्‍मावकाश पर लौटे गोपाल कृष्‍ण भट्ट के पुत्र पीयूष भट्ट ने रूस के बारे में रोचक जानकारी दी। गोठ में समाज के श्री गोकुलचंद्र आत्रेय, नवनीत शर्मा(आत्रेय), रेही गोपाल कृष्ण‍ भट्ट, छभैया महेंद्र भट्ट, रेही किशोर कुमार शर्मा, रेही मदन मोहन तैलंग, रेही नारायण तैलंग, श्री अनिल तैलंग, रेही अविनाश तैलंग, श्री गीताप्रकाश भट्ट एवं परिवारों के सदस्‍य थे। गोठ में लगभग 30 लोगों ने भाग लिया।
पीयूष भट्ट द्वारा उच्‍च शिक्षा प्राप्‍त कर रहे छात्रों के लिए प्रमाणपत्रों के अपोस्‍टल कराने की दी गयी महत्‍वपूर्ण जानकारी गोठ की मुख्‍य विशेषता रही।
पीयूष भट्ट रूस में 2006 से एमबीबीएस की पढाई कर रहे हैं। चौथे वर्ष की पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने ग्रीष्‍मावकाश में वे जून में कोटा लौटे। पीयूष भट्ट कोटा के श्री गोपाल कृष्ण भट्ट के पुत्र हैं। उन्‍होंने अवकाश में अपने व्यस्त कार्यक्रम के बावजूद गोठ में उपस्थित हो कर सभी से मिल कर सबका आशीर्वाद प्राप्त‍ किया। उन्होंने इस बार अपने व्‍यस्‍त कार्यक्रम के बारे में बताया कि सभी देशों में फ़र्ज़ी दस्‍तावेजों की मदद से फ़र्ज़ी डिग्री ले कर नौकरी हासिल करने के भ्रष्‍टाचार को रोकने के प्रयासों में भारत सरकार और विदेशों की शिक्षण संस्‍थाओं ने पिछले वर्ष से ‘अपोस्‍टल’ के लिए विदेश पढ़ने जा रहे छात्रों के प्रमाण पत्रों का विदेश मंत्रालय से सत्यापन करवाना आवश्‍यक कर दिया है, जिससे भारत आ कर उन्‍होंने इस बार अपनी दसवीं व बारहवीं की अंकतालिकाओं व प्रमाणपत्रों का अपोस्‍टल करवाया। श्री पीयूष ने बताया कि भारत में इस व्‍यवस्‍था के लिए भारत सरकार ने राज्‍य स्तर पर नोडल सेंटर स्‍थापित किये हुए हैं। राजस्‍थान में यह नोडल सेंटर जयपुर में, शासन सचिवालय में, उच्‍च शिक्षा विभाग में स्‍थापित है। छात्र अपनी दसवीं, बारहवीं की अंकतालिका एवं प्रमाण पत्र ५० रु0 शुल्‍क के साथ जमा करायेगा। नोडल सेंटर इसे माध्‍यमिक शिक्षा बोर्ड अजमेर भेजेगा। वहॉं से प्रमाण पत्रों का सत्‍यापन कर बोर्ड कार्यालय प्रमाणपत्रों को जयपुर नोडल सेंटर को लौटायेंगे, जिसे सक्षम सचिव, उच्‍च शिक्षा द्वारा प्रमाणित कर छात्र को लौटा दिये जाते हैं, जिन्‍हें छात्र नई दिल्‍ली स्थित पटियाला हाउस के विदेश मंत्रालय के कार्यालय में प्रति प्रमाण पत्र ५० रु0 शुल्‍क के साथ जमा कराते हैं। अपोस्टल की कार्यवाही पूर्ण कर छात्र को प्रमाण पत्र लौटा दिये जाते हैं। मूल प्रमाण पत्रों के पीछे अपोस्टल स्‍टाम्‍प लगाकर कार्यवाही की जाती है। अत:मूल प्रमाण पत्रों को लेमिनेशन नहीं करवाना चाहिए। यदि करवा रखे हैं तो उन्‍हें कोल्‍ड लेमिनेशन पद्धति से सावधानी से हटवा लेना चाहिए। यह सुविधा बाजार में विशेषकर महानगरों में उपलब्धं है। पीयूष ने बताया कि इस कार्य में लगभग 1 माह व्‍यतीत हो जाता है। पीयूष ने अपने 2 माह के ग्रीष्मावकाश में अपोस्टल की कार्यवाही को प्राथमिकता देते हुए अवकाश व्‍यतीत किये। वे इन अवकाशों में अपने ननिहाल मथुरा, बुआ के यहाँ जूनागढ़, अहमदाबाद, अपोस्‍टल के लिए अजमेर, जयपुर, दिल्‍ली गये। १२ सितम्बर को रात्रि को ही जम्‍मूतावी जामनगर हापा सुपरफास्‍ट एक्‍सप्रेस रेल से वे अहमदाबाद रवाना हो गये। वहाँ से वे १४ सितम्बर को अमीरात फ्लाइट से दुबई होते हुए मास्‍को पहुँचेंगे और वहाँ से अपने शिक्षण संस्‍थान स्टावरोपोल स्‍टेट मेडिकल एकेडमी, स्‍टावरोपोल पहुँचेगे। उन्‍होंने बताया कि अब वे डिग्री पूरी करने के पश्‍चात् 2012 में भारत लौटेंगे।